अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष (Interstellar Space) में गैस और धूल के बादल में बड़े कार्बन युक्त अणु (Carbon-Containing Molecules) पाइरीन (Pyrene) की खोज की है। जो जीवन की उत्पत्ति (Origin of Life) के रहस्य को उजागर करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
पाइरीन (Pyrene): अंतरिक्ष में जीवन की उत्पत्ति के अणु
नए अनुसंधान के मुताबिक, वैज्ञानिकों को जटिल कार्बनिक अणु पाइरीन (Pyrene) की खोज की है, जो एक पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (Polycyclic Aromatic Hydrocarbon या PAH) है। इसकी संरचना कार्बन और हाइड्रोजन (Carbon and Hydrogen) के संयोजन से बनी है। ये अणु ठंडे और काले गैस बादलों में मौजूद हो सकते हैं, जो आगे चलकर सौर मंडल (Solar System) जैसे प्रणालियों का निर्माण करते हैं।
1-सायनोपाइरीन (1-Cyanopyrene): जीवन के लिए महत्वपूर्ण खोज
पाइरीन को एक महत्वपूर्ण जैविक अणु माना जा रहा है। इस शोध में वैज्ञानिकों ने वृषभ नक्षत्र में स्थित टॉरस मॉल्यूलर क्लाउड (Taurus Molecular Cloud या TMC-1) में 1-सायनोपाइरीन (1-Cyanopyrene) का पता लगाया, जो पाइरीन का “ट्रेसर” है। इस अणु का पता रेडियो टेलीस्कोप से लगाना संभव हुआ, जिससे अनुमान लगाया गया कि यहां पाइरीन की मात्रा काफी अधिक है।
जीवन की उत्पत्ति के लिए जरूरी पूर्व-जैविक अणु
यह खोज बताती है कि कार्बन आधारित जटिल अणु अंतरिक्ष में कठोर परिस्थितियों के बावजूद जीवित रह सकते हैं और पृथ्वी (Earth) जैसे ग्रहों पर जीवन की नींव रख सकते हैं। रयुगु (Ryugu) नामक क्षुद्रग्रह में पहले मिली पाइरीन की मौजूदगी ने भी इस सिद्धांत को मजबूत किया है कि यह अणु सौर मंडल के निर्माण से पहले अस्तित्व में था।
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का अंतरिक्ष से संबंध
वैज्ञानिकों का मानना है कि अंतरिक्ष में मौजूद ये जटिल कार्बनिक अणु पृथ्वी पर सरल जीवन रूपों के विकास के लिए आवश्यक थे। लगभग 3.7 अरब साल पहले पृथ्वी पर पहली कोशिका आधारित जीवन का विकास हुआ, जो अंतरिक्ष से आए जटिल अणुओं की वजह से संभव हो सका।
इस खोज ने यह संभावित रास्ता खोला है कि जीवन के शुरुआती अणु अंतरिक्ष से आए और उन्होंने पृथ्वी पर जीवन का बीज बोया।