आइसोलेशन बे (Isolation bay) एक विशेष क्षेत्र होता है, जिसे हवाई अड्डों पर सुरक्षा और आपातकालीन स्थितियों में इस्तेमाल किया जाता है। इसे विशेष रूप से उन विमानों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिन्हें किसी तरह का खतरा हो सकता है—जैसे बम की धमकी, किसी तकनीकी समस्या, संदिग्ध गतिविधि, या किसी और प्रकार के आपातकालीन स्थिति में। आइसोलेशन बे आमतौर पर हवाई अड्डे के मुख्य रनवे और टर्मिनल से दूर होता है ताकि किसी भी संभावित जोखिम से अन्य विमानों, यात्रियों और हवाई अड्डे की संपत्ति को सुरक्षित रखा जा सके।
इमरजेंसी में Isolation bay पर ही लैंडिंग क्यों…? क्योंकि, यहां खतरों से निपटने के लिए तैनात होते हैं विशेष प्रशिक्षण प्राप्त जवान, होते हैं विशेष संसाधन
आइसोलेशन बे (Isolation bay) को एक अलग और संरक्षित क्षेत्र के रूप में तैयार किया जाता है, जो हवाई अड्डे के मुख्य क्षेत्र से दूर होता है। यहां पर विशेष रूप से प्रशिक्षित सुरक्षा बल तैनात रहते हैं और संभावित खतरों से निपटने के लिए सभी आवश्यक उपकरण और संसाधन उपलब्ध होते हैं। इसमें अक्सर बम डिस्पोज़ल स्क्वॉड, अग्निशमन दल, और चिकित्सा सेवाओं का प्रावधान होता है।
आइसोलेशन बे (Isolation bay) का उपयोग कब और क्यों किया जाता है?
- संदिग्ध वस्तुएं: यदि विमान में बम या किसी संदिग्ध वस्तु की मौजूदगी की सूचना मिलती है, तो उसे आइसोलेशन बे में ले जाया जाता है। यहां विमान से यात्रियों को सुरक्षित निकाला जाता है और विशेषज्ञों की टीम विमान की जांच करती है।
- तकनीकी समस्या: किसी तकनीकी समस्या के कारण भी विमान को आइसोलेशन बे में ले जाया जा सकता है, खासकर तब जब समस्या गंभीर हो और उसके चलते तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता हो।
- संदिग्ध यात्रियों की गतिविधि: यदि विमान के भीतर किसी यात्री के व्यवहार को संदिग्ध पाया जाता है, जैसे हाईजैकिंग की कोशिश या किसी अन्य सुरक्षा खतरे का अंदेशा हो, तो विमान को आइसोलेशन बे में उतारा जाता है।
- बड़े पैमाने पर खतरे: जैविक या रासायनिक खतरे की स्थिति में भी विमान को आइसोलेशन बे में ले जाया जाता है ताकि अन्य लोगों को संक्रमित होने से बचाया जा सके।
एक दिलचस्प घटना: जब आइसोलेशन बे (Isolation bay) ने बचाई कई जिंदगियां
कांधार हाईजैक (1999) का उदाहरण आइसोलेशन बे के उपयोग की एक महत्वपूर्ण कहानी के रूप में देखा जा सकता है। यह घटना भारतीय इतिहास की सबसे प्रमुख हाईजैकिंग घटनाओं में से एक थी, जब 24 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था। इस हाईजैकिंग के बाद, विमान को पहले अमृतसर हवाई अड्डे पर उतारा गया था। लेकिन सुरक्षा कारणों से, तत्कालीन भारतीय अधिकारियों ने विमान को आइसोलेशन बे (Isolation bay) में उतारने का फैसला किया ताकि यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके और विमान को जांचा जा सके।
हालांकि, विभिन्न जटिलताओं के कारण यह ऑपरेशन सफल नहीं हो पाया और आतंकवादी विमान को अफगानिस्तान के कांधार ले जाने में सफल रहे। मगर इस ऑपरेशन ने आइसोलेशन बे के महत्व को उजागर किया और साबित किया कि ऐसी आपातकालीन स्थितियों में यह स्थान कितनी बड़ी भूमिका निभा सकता है।
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