पाकिस्तान ने 2025 में 30 लाख अफगानों को देश से बाहर निकालने का बड़ा प्लान तैयार किया है। यह कदम तब उठाया गया, जब राजधानी और आसपास के इलाकों को स्वेच्छा से छोड़ने की 31 मार्च की डेडलाइन सोमवार को खत्म हो गई। इस अभियान का मकसद अवैध रूप से रह रहे विदेशियों को बाहर करना है, जिसमें ज्यादातर अफगान नागरिक शामिल हैं। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
अवैध प्रवासियों पर पाकिस्तान का एक्शन प्लान
पाकिस्तान ने अक्टूबर 2023 से अवैध विदेशियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया था। इस कार्रवाई का ताजा चरण अब सामने आया है, जिसके तहत 30 लाख अफगानों को निशाना बनाया गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम देश की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए जरूरी है। हालांकि, इस अभियान को मानवाधिकार संगठनों, तालिबान सरकार और संयुक्त राष्ट्र से तीखी आलोचना झेलनी पड़ी है।
निर्वासन में देरी: ईद की छुट्टियों का असर
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, गिरफ्तारी और निर्वासन की प्रक्रिया 1 अप्रैल से शुरू होने वाली थी। लेकिन ईद-उल-फित्र की छुट्टियों को देखते हुए इसे 10 अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया। यह बदलाव प्रभावित अफगानों को थोड़ा और समय देता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वे इस दौरान कोई समाधान ढूंढ पाएंगे।
18 महीनों में 8.45 लाख अफगान लौटे
अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के डेटा से पता चलता है कि पिछले 18 महीनों में करीब 8,45,000 अफगान पाकिस्तान से वापस जा चुके हैं। यह संख्या इस बात का सबूत है कि अभियान का असर पहले से ही दिख रहा है। फिर भी, पाकिस्तान का दावा है कि अभी 30 लाख अफगान बाकी हैं, जिनमें से कई के पास वैध दस्तावेज नहीं हैं।
दस्तावेजों का खेल: कितने अफगान वैध, कितने अवैध?
पाकिस्तान के आंकड़ों के अनुसार, 30 लाख अफगानों में से 13,44,584 के पास पंजीकरण प्रमाण पत्र हैं। वहीं, 8,07,402 के पास अफगानिस्तान के नागरिक कार्ड मौजूद हैं। इसके बावजूद, 10 लाख ऐसे अफगान हैं जो बिना किसी कागजात के देश में रह रहे हैं। इन अवैध प्रवासियों पर सरकार की नजर अब सबसे ज्यादा है।
इस अभियान के पीछे पाकिस्तान का मकसद साफ है, लेकिन यह मानवीय संकट को भी जन्म दे रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कार्रवाई कितनी तेजी से आगे बढ़ती है और इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या असर पड़ता है।