The Mayandana Bureau, Bilaspur: 13 साल से अलग रह रहे दंपती को लेकर Chhattisgarh High Court ऐतिहासिक फैसला सुनाया। दरअसल अपने पति से तलाक मांगते हुए जांजगीर-चांपा की एक महिला ने कोर्ट ने का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने झूठे वादों और झूठी पहचान से बनी शादी को शून्य माना और महिला के अधिकार को सुनिश्चित किया और इस टूट चुके रिश्ते को समाप्त करने की मंजूरी दी।
खुद को सरकारी नौकरी वाला और झूठी उम्र बताकर 28 साल छोटी लड़की से की शादी
जांजगीर-चांपा की एक महिला ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में तलाक की मांग करते हुए बताया कि उससे 28 साल बड़े उसके पति ने शादी से पहले खुद को सरकारी कर्मचारी बताया था। वहीं उम्र की भी छूठी जानकारी दी थी। शादी के तत्काल बाद महिला को ससुराल पक्ष से उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसके बाद वह मायके लौट गई। पिछले 13 वर्षों से पति-पत्नी अलग रह रहे थे। महिला ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी, जिसे खारिज कर दिया गया था। लेकिन हाई कोर्ट ने उसकी अपील स्वीकार करते हुए तलाक मंजूर किया।
CG High Court ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा – पूरी तरह से टूट चुका है रिश्ता
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 13 साल से दोनों के बीच कोई संपर्क नहीं है और यह विवाह पूरी तरह से टूट चुका है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के के. श्रीनिवास राव मामले का हवाला देते हुए विवाह को शून्य घोषित किया और कहा कि ऐसे रिश्ते को पुनर्जीवित करना अब असंभव है।
फैमिली कोर्ट में नहीं मिली राहत, हाई कोर्ट में अपील
महिला ने 2018 में फैमिली कोर्ट में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत अर्जी दी थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। फैमिली कोर्ट ने यह मानते हुए कि दोनों पक्षों में समझौता हो चुका है, आवेदन खारिज कर दिया और महिला को पति के साथ रहने के आदेश दिए थे। इसके बाद महिला ने एडवोकेट रवींद्र शर्मा के जरिए हाई कोर्ट में अपील की और कहा कि शादी के समय उसे पति के सरकारी नौकरी में होने और उम्र को लेकर झूठी जानकारी दी गई थी। यह एक तरह की धोखाधड़ी थी, जिसके आधार पर उसने तलाक की मांग की।