सन्ना वन परिक्षेत्र के महनई जंगल से जंगली जानवर के शिकार की घटना सामने आई है। महनई के ग्रामीणों ने शिकार के लिए 11 केवी की हाईवोल्टेज लाइन से कनेक्शन जोड़कर जंगल के 2 किमी एरिया में तार बिछाया। सोमवार की रात एक जंगली सूअर इस तार की संपर्क में आया और करंट से उसकी मौत हो गई। मंगलवार की सुबह ग्रामीणों ने अपना शिकार उठाया और तारों को समेटकर ले गए। वन विभाग को घटना की सूचना मिलने के बाद शिकार के मामले में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। विभाग ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। वहीं, घटना में शामिल 31 ग्रामीणों के खिलाफ वन्य जीवों के संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की है।
पंडरापाठ के रेंज असिस्टेंट नरेन्द्र कुमार ने बताया कि मंगलवार की सुबह उन्हें ग्रामीणों द्वारा जंगली सूअर का शिकार किए जाने की सूचना मिली। सूचना मिलने पर टीम महनई जंगल पहुंची। टीम के पहुंचने से पहले ही शिकार करने वाले ग्रामीणों ने मृत सूअर को नदी के किनारे ले जाकर काट दिया था। मांस का बंटवारा भी कर लिया था। ग्रामीणों ने रात को तार बिछाकर उसमें करंट प्रवाहित किया था। उनके द्वारा बिछाए गए करंट प्रवाहित तार वाले जाल में कोई शिकार फंसा या नहीं, यह देखने के लिए ग्रामीण सुबह 5 से 6 के बीच ही जंगल पहुंच गए थे। जंगली सूअर के फंसने के बाद ग्रामीणों ने उसके उठाया और तार समेटकर अपने साथ ले गए। ग्रामीणों से पूछताछ के बाद महनई निवासी सोमरा उर्फ रतिया पहाड़ी कोरवा के घर से मांस बरामद किया गया है। आरोपी के पास से मांस, जंगली सूअर के दांत, जबड़ा और खूर का हिस्सा मिला है। कुछ अन्य आरेापी भी पकड़े गए हैं, जिनसे पूछताछ की जा रही है। इस मामले में 31 ग्रामीण शामिल हैं। इसमें गांव के पूर्व सरपंच सहित अन्य लोगों के नाम सामने आए हैं। अभी जांच की जा रही है।
रेंज असिस्टेंट व वन कर्मी बोले- मांस के लिए ग्रामीणों ने शिकार किया है, सुअर के अंग जब्त कर 31 लोगों पर कार्रवाई की गई है
रेंज असिस्टेंट नरेन्द्र कुमार ने कहा है कि सूचना पर टीम गांव पहुंची थी। सूअर का मांस समेत अन्य अंग जब्त कर 31 लोगों पर कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही वन विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि पंडरापाठ इलाके में शिकार की पहली घटना सामने आई है। आरोपियों ने जंगली जानवरों का मांस खाने के उद्देश्य से शिकार किया है। जंगली सूअर को काटे जाने के तरीके से भी इसका पता चलता है।
पहले भी कई बार आ चुके हैं ऐसे मामले, जानिए…जब मारा गया था तेंदुआ, मिली थी पेंगोलीन की छाल…
बता दें कि जशपुरनगर में जंगली जानवरों का शिकार करने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी तीन साल पहले कोतबा क्षेत्र के पतराटोली जंगल में सूअर के शिकार के लिए करंट प्रवाहित तार बिछाया था। इसमें एक तेंदुआ फंस गया और उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा पांच साल पहले कोतबा के बुलडेगा भिंजपुर जंगल में जंगली सूअर के शिकार के लिए तार बिछाया गया था। इसी दौरान करमा त्योहार मनाकर जंगल के रास्ते लौट रहे एक ग्रामीण की चपेट में आकर मौत हो गई थी। वहीं 8 साल पहले नारायणपुर क्षेत्र में जंगली सुअर का मांस पकाते दर्जनों लोग गिरफ्तार किए गए थे। और दुलदुला वन परिक्षेत्र में सात साल पहले जंगली सूअर का मांस पकाते 14 से अधिक लोगों पर कार्रवाई हुई थी। इसके साथ ही गौरतलब है कि 5 अप्रैल 2021 को फिर से दुलदुला जंगल में तीर धनुष से जंगली सुअर का शिकार करने का मामला सामने आया था। इस अपराध में 5 आरोपी पकड़े गए थे। वहीं 21 अप्रैल 2022 को जंगली सूअर के दांत और पेंगोलिन की छाल के साथ तीन तस्करों को गिरफ्तार किया गया था।
इसी माह में मनाया गया है वन्यजीव संरक्षण सप्ताह
गौरतलब है कि इसी महीने के 2 से 8 अक्टूबर तक वन विभाग ने जिले भर में वन्यजीव संरक्षण सप्ताह मनाया गया है। बता दें कि इसके तहत गांव-गांव में जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए गए थे। इस दौरान विभागीय अमले ने ग्रामीणों को वन्य जीवों का महत्व समझाया था। इसमें बताया गया था कि यदि वन्यप्राणी नहीं होंगे तो मानव जीवन का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा। लेकिन वन्यजीव संरक्षण सप्ताह की समाप्ति के अगले ही दिन 9 अक्टूबर को महनई में ग्रामीणों ने शिकार के लिए जंगल के 2 किमी दायरे में करंट प्रवाहित तार बिछाकर एक जंगली सूअर का शिकार कर लेना वन्य जीवों के प्रति लोगों का बर्बर व्यावहार दर्शाता है।
जंगलों में घटती जा रही भालू, जंगली सूअर और अन्य वन्य जीवों की संख्या
जशपुर के जंगल में वन्यजीवों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। यहां अब गिने चुने वन्य जीव ही बचे हैं। इनके शिकार पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पा रहा है। दो दशक पहले तक जिले के जंगलों में तेंदुआ अक्सर दिख जाया करते थे। बीते कई सालों से जिले में कहीं भी तेंदुआ नहीं देखा गया है। वर्तमान में जशपुर जिले के जंगल में भालू, जंगली सूअर, लकड़बघ्घा, बंदर, मोर ही बचे हैं। फिलहाल जंगलों में सबसे अधिक संख्या भालू और जंगली सूअरों की है।